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भारत में तकनीकी शिक्षा समग्र शिक्षा प्रणाली में एक बड़े भाग का योगदान करती है तथा हमारे राष्ट्र के समाजिक और आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करती है।
अभातशिप अधिनियम (1987) के अनुसार, 1988 में अपनी स्थापना के उपरांत प्रथम पांच वर्षों के लिए मानव संसाधन विकास मंत्री, भातर सरकार परिषद् के अध्यक्ष थे। पहला पूर्णकालिक अध्यक्ष 02 जुलाई, 1993 को नियुक्त किया गया था तथा मार्च 1994 में तीन वर्ष का अवधि के लिए परिषद् का पुनर्गठन किया गया। कार्यकारिणी समिति 07 जुलाई, 1994 को पुनगर्ठित की गई थी तथा अखिल भारतीय अध्ययन मंडलों ओर सलाहकार बोर्डों का गठन 1994-95 में किया गया था। मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार के कोलकाता, चैन्नई, कानपुर और मुंबई में स्थित क्षेत्रीय कार्यालय अभातशिप को स्थानांतरित कर दिए गए और इनकार्यालयों में कार्यरत कर्मचारियों को अक्टूबर, 1995 से बाह्य संवर्ग सेवा के उपबंधों पर परिषद् में प्रतिनियुक्ति पर तैनात कर लिया गया।
इन कार्यालयों ने चार क्षेत्रों (उत्तर, पूर्व, पश्चिम और दक्षिण) में क्षेत्रीय समितियों के मुख्यालयों के रूप में कार्य किया। 27 जुलाई, 1994 को दक्षिण-पश्चिम, मध्य और उत्तर-पश्चिम में तीन नई क्षेत्रीय समितियां भी गठित की गई जिनके मुख्यालय क्रमशः बैंगलोर, भोपाल और चण्ड़ीगढ़ में स्थित थे। 08 मार्च, 2007 को दक्षिण-मध्य क्षेत्र में एक और उप-समिति को अधिसूचित किया गया जिसका मुख्यालय हैदराबाद में था।
"तकनीकी जनशक्ति में वैश्विक प्रतिस्पर्धा को करते हुए समाज के सभी वर्गों के लिए उच्च गुणवत्तापूर्ण तकनीकी शिक्षा सुनिश्चित करके सम्पन्न करने के द्वारा एक विश्वस्तरीय अग्रणी संस्था के रूप में देश का सामाजिक आर्थिक विकास सुनिश्चित करना"
अभातशिप के कार्यकरण को सुचारू रूप से चलाने के लिए अभातशिप में निम्नलिखित ब्यूरों और प्रकोष्ठ हैं: